लॉक डाउन से दैनिक मजदूरों का कामधंधा बंद

 


लॉक डाउन से दैनिक मजदूरों का कामधंधा बंद


नई दिल्ली। तीन दिन होने को हैं। दो छोटे-छोटे बच्चों व पत्नी के साथ 15 गुना 8 के कमरे में बंद है। अपने गांव में रहता तो कम से कम खुली हवा में सांस तो ले पाता और पेट भी खाली नहीं रहता। ये बातें कहते-कहते मुकेश मिश्रा का गला भर आया। उनकी नजर कभी बेटी पर जा टिकती तो कभी बेटे पर। अपने घर बिहार के सहरसा से करीब 1,200 किमी दूर दिल्ली के जनकपुरी इलाके में मुकेश रिक्शा चलाता है। परिवार भी साथ है। रोज करीब 300 कमाते हैं, जिससे घर का खर्च चल जाता है। लॉक डाउन से पैदा हुई परेशानी पर कुरेदते ही सपाट सा जवाब दिया घर बैठने पर कोरोना वायरस से तो बच जाएंगे, लेकिन भूख कहीं का नहीं छोड़ेगी। शनिवार से ही सड़कें सूनी पड़ी हैं। चार दिन से काम बंद है। घर जाने को सोचा तो ट्रेन भी बंद हो गई।


 

यह कहानी सिर्फ पंकज की नहीं, दिल्ली-एनसीआर में दैनिक कमाई पर गुजर करने वाले लाखों मजदूरों की है, जिनका कामधंधा कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण से बचने के लिए एहतियातन उठाए जा रहे कदमों से पिछले तीन दिनों से पूरी तरह से ठप है। शहर में कर्फ्यू लगा हुआ है। संक्रमण के स्टेज तीन में जाने की आशंका को देखते हुए सड़क पर किसी को आने-जाने नहीं दिया जा रहा है। इससे दैनिक मजदूरों की रोजी रोटी पर संकट खड़ा हो गया है।
यूपी के सहारनपुर के महेंद्र पाल का कहना है, तीन दिन से बिलकुल भी कमाई नहीं हुई। पैसा न होने से राशन वाला भी कल से ही अनाज देने में आनाकानी कर रहा है। इससे अच्छा था गांव चला जाता, जहां कम से कम खाने के लाले तो न पड़ते। आस पड़ोस वाले ही वहां खाने का इंतजाम कर देते। लेकिन बिना ट्रेन व बस चले वापस लौटना भी संभव नहीं है।
सहरसा के ही रवि शर्मा का कहना है, तीन-चार दोस्तों के साथ एक कमरे में कब तक रहा जा सकता है। सभी रोज मजदूरी करते हैं और रोज के खर्च से जो बच जाता है उसे घर भेज देते हैं। अब काम धंधा कुछ है नहीं और कब तक होगा, यह भी नहीं पता। पहले मालूम होता तो घर लौट जाता। वहां कम से कम फांका मारने की नौबत तो नहीं आती।
बंदी से लोगों को शहर में ही रोकने की कोशिश
सरकार मानकर चल रही है कि शहर से अगर गांव की तरफ जाना जाने वाले लोगों की संख्या अचानक बढ़ती है और इनके जरिये वायरस का संक्रमण ग्रामीण इलाकों में भी फैलता है तो हालात को काबू कर पाना आसान नहीं होगा। इसी वजह से ट्रांसपोर्ट के सभी माध्यम, हवाई, रेल व सड़क, बंद कर दिए गए हैं। साथ ही लोगों से अपील की जा रही है कि लोग जहां पर हैं, वहीं पर अपने घरों में रहें। लोगों से मेलजोल ज्यादा न बढ़ाए। इसे कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने का रामबाण तरीका बताया जा रहा है।
मुख्यमंत्री की अपील, भूखा न रहने पाए कोई परिवार
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को एक बार फिर दोहराया है कि वक्त बेहद संकट भरा है। मकान मालिक अपने किराएदारों से किराया न लें। साथ ही अपने पड़ोस में तीन चार घर तक पता कर लें कि कोई भूखा तो नहीं है। केजरीवाल ने बताया कि सोमवार की अपील के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने मकान का किराया माफ करने, भूखों को खाना खिलाने की जिम्मेदारी ली है। इसकी तारीफ करते हुए उन्होंने ज्यादा से ज्यादा लोगों से इस काम में आगे आने की अपील की है। साथ ही बताया कि दिल्ली सरकार नाइट शेल्टर की संख्या बढ़ा रही है। यहां दिन व रात का खाना मुफ्त में दिया जाएगा। कोई भी व्यक्ति यहां खाना खा सकता है